Thursday, February 12, 2009

That inspirational poem from Dr. Harivanshrai Bacchan

अग्निपथ
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ,
वृक्ष हो भले घने, हो घने, हो बड़े,
एक पत छाँव की मांग मत, मांग मत, मांग मत,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ
तू ना थकेगा कभी, तू ना थमेगा कभी, तू ना मुडेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ
यह महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है,
आश्रू श्वेत रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ,
अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ



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